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कर्म और ग्रहों का रहस्य – जब भाग्य नहीं, कर्म निर्णायक बनते हैं By Jyotish Acharya Manisha Agarwal | NumeroJyotish.in

Oct 27

2 min read

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7

ग्रह दिशा दिखाते हैं, पर चलना कर्म तय करता है।
ग्रह दिशा दिखाते हैं, पर चलना कर्म तय करता है।

(Planets show the direction, but Karma decides the path.)


हर इंसान अपने जीवन में किसी न किसी समय यह प्रश्न पूछता है — “क्या मेरा भाग्य पहले से तय है?” या क्या हम अपने कर्मों से ग्रहों की दशा और दिशा बदल सकते हैं?


वैदिक ज्योतिष हमें यही सिखाता है —कि ग्रह केवल कर्म का दर्पण हैं, वे भविष्य नहीं बनाते,बल्कि जो हम बीते जन्मों और वर्तमान जीवन में करते हैं, उसी का फल इन ग्रहों के माध्यम से हमें प्राप्त होता है।


ग्रह और कर्म का संबंध

प्रत्येक ग्रह हमारे जीवन के किसी न किसी कर्म-क्षेत्र से जुड़ा होता है:

ग्रह

कर्म का स्वरूप

परिणाम

सूर्य ☀️

आत्मबल और नेतृत्व

सही कर्म से प्रतिष्ठा, अहंकार से पतन

चंद्र 🌙

भावना और मानसिक शुद्धता

करुणा से सुख, असंतुलन से बेचैनी

मंगल 🔥

साहस और ऊर्जा

धर्मयुक्त कर्म से विजय, क्रोध से हानि

बुध 🧠

बुद्धि और विवेक

सत्य से ज्ञान, छल से भ्रम

गुरु 📚

धर्म और सदाचार

सेवा से भाग्य वृद्धि, दुराचार से ह्रास

शुक्र 💎

प्रेम और भौतिकता

संयम से आकर्षण, आसक्ति से दुख

शनि 🪐

कर्म-फल का न्यायाधीश

परिश्रम से सफलता, आलस्य से बाधा

राहु 🌀

मोह और भ्रम

जागरूकता से प्रगति, लोभ से पतन

केतु 🕉️

वैराग्य और मुक्ति

आत्म-ज्ञान से शांति, भ्रम से दिशाहीनता

जब ग्रह परीक्षा लेते हैं

कभी-कभी जीवन में ऐसा समय आता है जब सब प्रयास व्यर्थ लगते हैं।यही ग्रह परीक्षा का काल होता है — जिसे दशा-अंतर्दशा के रूप में जाना जाता है।इस समय भाग्य नहीं, कर्म की दिशा ही निर्णायक बनती है।

यदि हम इन कालों में धैर्य, अनुशासन और सकारात्मक कर्म बनाए रखें,तो वही ग्रह, जो कभी बाधा बने थे, फलदायी योग में परिवर्तित हो जाते हैं।


कर्म सुधार के उपाय


1. सेवा और दान

शनि, राहु और केतु जैसे ग्रह सेवा से शांत होते हैं।हर शनिवार को ज़रूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान करें।


2. सत्य और संयम का पालन

बुध और गुरु ग्रह सत्य, अध्ययन और संयम से प्रसन्न होते हैं।रोज़ 10 मिनट आत्म-चिंतन करें।


3. आभार और प्रार्थना

सूर्य को जल अर्पण करें, माता-पिता और गुरुओं का आशीर्वाद लें।यह कर्म आपकी कुंडली के पुण्य भाव को सक्रिय करता है।


4. स्व-नियंत्रण और क्षमा

क्रोध या आसक्ति मंगल-शुक्र को अशांत करते हैं।क्षमा और संयम से उनका प्रभाव शुभ बनता है।


ज्योतिष क्या सिखाता है

ज्योतिष केवल ग्रह देखने की विद्या नहीं —यह कर्म को सुधारने की कला है।

जब हम ग्रहों के संकेतों को समझकर सही कर्म अपनाते हैं,तो भाग्य हमारे अनुरूप झुक जाता है।ग्रह मार्ग दिखाते हैं, पर चलना हमें ही होता है।


निष्कर्ष

भाग्य हमेशा हमारे साथ बदलता है —जैसे ग्रह गति में हैं, वैसे ही जीवन भी गतिमान है।यदि कर्म शुभ, संतुलित और निस्वार्थ हो,तो ग्रहों की हर चाल आपके पक्ष में होती है।

कभी याद रखिए —भाग्य वही करता है जो कर्म अनुमति देता है।


परामर्श हेतु

Jyotish Acharya Manisha Agarwal📞 98303 89477 🌐 www.numerojyotish.in


 कर्म और ग्रहों का रहस्य – जब भाग्य नहीं, कर्म निर्णायक बनते हैं | NumeroJyotish

 जानिए वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रह कैसे आपके कर्मों का फल देते हैं, कठिन दशाओं में क्या करें और कर्म सुधार के उपाय क्या हैं।

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Oct 27

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