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दशा प्रणाली: वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की कालावधि और उनका प्रभाव

Sep 24

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दशा प्रणाली | विंशोत्तरी महादशा और उनका प्रभाव – NumeroJyotish
दशा प्रणाली | विंशोत्तरी महादशा और उनका प्रभाव – NumeroJyotish

परिचय

वैदिक ज्योतिष में दशा प्रणाली का अत्यंत महत्व है। यह बताती है कि जीवन के किसी विशेष समय में कौन सा ग्रह सक्रिय है और उसके अनुसार व्यक्ति के जीवन में घटनाएँ क्यों घट रही हैं।दशा हमें यह समझने में मदद करती है कि कब सफलता मिलेगी, कब संघर्ष आएगा, और कब जीवन में परिवर्तन होंगे


प्रमुख दशा प्रणालियाँ

वैदिक ज्योतिष में कई प्रकार की दशाएँ बताई गई हैं, लेकिन मुख्य चार प्रणालियाँ अधिक प्रचलित हैं:

  1. विंशोत्तरी दशा (120 वर्ष) – सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली दशा प्रणाली।

  2. अष्टोत्तरी दशा (108 वर्ष) – कुछ विशेष स्थितियों में लागू होती है।

  3. योगिनी दशा (36 वर्ष) – जीवन की त्वरित घटनाओं और परिवर्तनों को दर्शाती है।

  4. कालचक्र दशा – जन्म कुंडली और राशि के आधार पर तय होती है।


विंशोत्तरी महादशा (120 वर्ष) और उनकी अवधि

  1. केतु महादशा – 7 वर्ष

    • अचानक परिवर्तन, मोक्ष की ओर झुकाव, रहस्यमय घटनाएँ।

  2. शुक्र महादशा – 20 वर्ष

    • प्रेम, विवाह, सौंदर्य, कला और भौतिक सुख-सुविधाएँ।

  3. सूर्य महादशा – 6 वर्ष

    • आत्मविश्वास, नेतृत्व, सरकारी लाभ और प्रतिष्ठा।

  4. चंद्र महादशा – 10 वर्ष

    • भावनाएँ, मानसिक शांति, माता से संबंध, यात्रा।

  5. मंगल महादशा – 7 वर्ष

    • ऊर्जा, पराक्रम, संघर्ष, दुर्घटनाएँ या अचानक लाभ।

  6. राहु महादशा – 18 वर्ष

    • भ्रम, छल-कपट, विदेशी संबंध, अप्रत्याशित घटनाएँ।

  7. गुरु महादशा – 16 वर्ष

    • ज्ञान, धर्म, भाग्य, गुरु कृपा, आध्यात्मिक उन्नति।

  8. शनि महादशा – 19 वर्ष

    • कर्मफल, संघर्ष, देरी, धैर्य और न्याय।

  9. बुध महादशा – 17 वर्ष

    • बुद्धि, व्यापार, संचार, शिक्षा और गणना।


महादशा और अंतरदशा

  • प्रत्येक महादशा के भीतर अंतरदशा (Sub-Period) होती है।

  • उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति शनि महादशा में है और अंदर चंद्र अंतरदशा चल रही है, तो शनि और चंद्र दोनों के संयुक्त प्रभाव जीवन में दिखाई देंगे।

  • इससे व्यक्ति के जीवन में अधिक सटीक भविष्यवाणी संभव हो पाती है।


महत्व

दशा प्रणाली से यह जाना जा सकता है:

  • किस समय कौन-सा ग्रह प्रभावी रहेगा।

  • शुभ-अशुभ प्रभाव कब और कैसे मिलेंगे।

  • जीवन में सफलता, विवाह, संतान, यात्रा, बीमारी या संघर्ष के समय।


निष्कर्ष

दशा प्रणाली जीवन का समय-मानचित्र है। यह हमें हमारे कर्मफल और ग्रहों के प्रभाव का संकेत देती है। सही मार्गदर्शन से हम कठिन समय में धैर्य रख सकते हैं और शुभ समय का पूरा लाभ उठा सकते हैं।


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