
रूप चौदस 2025 – आत्मिक शुद्धि, सौंदर्य और नकारात्मकता से मुक्ति का दिवस By Jyotish Acharya Manisha Agarwal | NumeroJyotish.in
Oct 19
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(Roop Chaudas – Awaken the Inner Light)
रूप चौदस, जिसे काली चौदस या छोटी दिवाली भी कहा जाता है,इस वर्ष 19 अक्टूबर 2025 (रविवार) को मनाई जाएगी।
दीपावली से एक दिन पहले आने वाला यह दिन केवल सौंदर्य का प्रतीक नहीं,बल्कि शक्ति, शुद ्धि और नकारात्मकता से मुक्ति का भी पवित्र अवसर है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह दिन राहु, केतु और शनि के अशुभ प्रभावों को शांत करने औरमाँ काली की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत उपयुक्त होता है।
रूप चौदस का महत्व
यह दिन शरीर, मन और आत्मा — तीनों की शुद्धि का प्रतीक है।कहते हैं, दीपावली के प्रकाश से पहले आत्मा का भी प्रकाश आवश्यक है,और रूप चौदस उस भीतरी शुद्धि की प्रक्रिया का प्रतीक है।
यह दिन व्यक्ति के जीवन में सौंदर्य, आत्मविश्वास और आत्मबल बढ़ाने क ा अवसर देता है।
रूप चौदस की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था,जिससे पृथ्वी पर पुनः प्रकाश और शांति की स्थापना हुई।इसीलिए इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है —जो अंधकार, भय और नकारात्मकता के अंत का प्रतीक है।
रूप चौदस पर करने योग्य उपाय
1. अभ्यंग स्नान (शुद्धि और सौंदर्य के लिए)
सूर्योदय से पहले तिल या नारियल तेल से अभ्यंग स्नान करें। हल्दी, चंदन और बेसन का उबटन लगाएँ।लाभ: शरीर की थकान दूर होती है, मन शांत होता है, और सौंदर्य में आभा बढ़ती है।
2. दीपदान और तिल-तेल उपाय
संध्या समय तिल के तेल का दीपक जलाएँ।घर के चारों कोनों में दीपक रखने से नकारात्मकता दूर होती है।लाभ: घर में शांति, स्थिरता और लक्ष्मी कृपा बनी रहती है।
3. माँ काली की पूजा
रात्रि में दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके माँ काली की पूजा करें।108 बार मंत्र जपें — “ॐ क्रीं कालिकायै नमः।”लाभ: भय, बाधा और शत्रु दोष से मुक्ति।
4. नजर दोष निवारण उपाय
सात मिर्च, एक नींबू और एक लौंग लेकर घर के चारों ओर सात बार घुमाएँऔर फिर किसी सुनसान स्थान पर फेंक दें।लाभ: नजर दोष, ईर्ष्या और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा।
5. आंतरिक सौंदर्य के लिए ध्यान साधना
रात्रि में दीपक के प्रकाश में ध्यान करें।“ॐ नमः शिवाय” का जप करें।लाभ: आत्मिक संतुलन, मन की शांति और आकर्षण शक्ति में वृद्धि।
ज्योतिषीय दृष्टि से
रूप चौदस शुक्र (सौंदर्य और प्रेम) और चंद्र (भावना और मानसिक स्थिरता) का संगम है।इस दिन इन ग्रहों की ऊर्जा अत्यधिक सक्रिय रहती है।इनकी साधना करने से व्यक्ति में आभा, आकर्षण, और आत्मबल बढ़ता है।
क्या न करें इस दिन
झगड़ा, निंदा या क्रोध न करें।
अंधेरे में रहना वर्जित है — हर कोने में दीपक जलाएँ।
तामसिक भोजन, मांस या मद्य का सेवन न करें।
किसी का अपमान या कटु वाणी से बचें।
निष्कर्ष
रूप चौदस केवल “रूप और सौंदर्य” का पर्व नहीं,यह भीतरी प्रकाश और आत्मशक्ति जागरण का दिन है।
माँ काली की कृपा और भगवान धन्वंतरि के आशीर्वाद सेयह दिन जीवन में सौंदर्य, आरोग्य और आत्मिक बल का संगम लाता है।
परामर्श हेतु
Jyotish Acharya Manisha Agarwal📞 98303 89477 🌐 www.numerojyotish.in
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