
वैदिक ज्योतिष में योग (Planetary Combinations): भाग्य, सफलता और संघर्ष का रहस्य
Oct 9
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वैदिक ज्योतिष में “योग” का अर्थ है — ग्रहों की ऐसी विशिष्ट स्थिति या संयोजन जो किसी व्यक्ति के जीवन में असाधारण प्रभाव डालते हैं।योग ही तय करते हैं कि कोई व्यक्ति राजसी जीवन जिएगा या संघर्षों से गुजरेगा।यह ग्रहों का एक दिव्य गणित है, जो भाग्य की दिशा और जीवन की दशा बदल सकता है।
शुभ योग (Auspicious Yogas)
राजयोग
जब केंद्र और त्रिकोण भावों के स्वामी ग्रह आपस में संयोजित होते हैं या दृष्टि संबंध बनाते हैं।
फल: उच्च पद, सम्मान, प्रतिष्ठा और सफलता।
धन योग
जब धन भाव (2nd, 11th) या इनके स्वामी शुभ ग्रहों से युक्त हों।
फल: आर्थिक समृद्धि, संपत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति।
गजकेसरी योग
जब चंद्रमा और गुरु एक-दूसरे के केंद्र में हों।
फल: बुद्धिमत्ता, सम्मान और सामाजिक सफलता।
बुद्धादित्य योग
जब सूर्य और बुध साथ हों।
फल: तीव्र बुद्धि, प्रशासनिक क्षमता, निर्णय कौशल।
लक्ष्मी योग
जब लग्नेश और नवमेश शुभ स्थिति में हों और गुरु या शुक्र का प्रभाव हो।
फल: धन, वैभव और लक्ष्मी कृपा।
पंच महापुरुष योग
जब मंगल, बुध, गुरु, शुक्र या शनि अपने केंद्र भाव में उच्च या स्वराशि में हों।
फल: जीवन में महिमा, नेतृत्व, आत्मविश्वास और स्थायित्व।
मंगल – रूचक योग
बुध – भद्र योग
गुरु – हंस योग
शुक्र – मलव्य योग
शनि – शश योग
चंद्र-मंगल योग
जब चंद्र और मंगल साथ हों।
फल: व्यापारिक बुद्धि, धन, साहस और ऊर्जा में वृद्धि।
अशुभ योग (Inauspicious Yogas)
कालसर्प योग
जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाएँ।
फल: बार-बार रुकावटें, विलंब, मानसिक तनाव।
टिप्पणी: वेदों में इसका सीधा उल्लेख नहीं है, लेकिन व्यवहारिक अनुभव में इसका प्रभाव देखा गया है।
गुरु चांडाल योग
जब गुरु का संयोग राहु या केतु से हो।
फल: निर्णय क्षमता में कमी, गलत संगति, नैतिक भ्रम।
कुंडली दोष (दांपत्य अवरोध)
मंगल दोष, नाड़ी दोष, पित्र दोष जैसी स्थितियाँ विवाह और संबंधों को प्रभावित करती हैं।
फल: वैवाहिक तनाव, देरी, संबंधों में खटास।
दरिद्र योग
जब दूसरे या ग्यारहवें भाव पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो या चंद्र कमजोर हो।
फल: धन हानि, आर्थिक अस्थिरता।
शनि-चंद्र विष योग
जब चंद्रमा शनि से संयुक्त या दृष्ट हो।
फल: मानसिक तनाव, अवसाद, आत्मविश्वास में कमी।
उपाय (Remedies for Inauspicious Yogas)
शिव अभिषेक – चंद्र दोष और शनि योग के लिए सर्वोत्तम उपाय।
हनुमान चालीसा पाठ – राहु, केतु और मंगल दोष शमन के लिए।
दान और सेवा – शनि दोष शांति के लिए काले तिल, तेल और कपड़ा दान करें।
गुरु मंत्र जाप – गुरु चांडाल योग में “ॐ गुरवे नमः”।
रुद्राक्ष धारण – ग्रह दोष निवारण के लिए पंचमुखी या सप्तमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
निष्कर्ष
योग केवल गणना नहीं — यह भाग्य का विज्ञान है।हर योग अपने साथ कुछ संभावनाएँ और सीख लेकर आता है।यदि सही समय पर उपाय किए जाएँ तो अशुभ योग भी जीवन में शुभता ला सकते हैं।
"योग आपके भाग्य को लिखते हैं — और ज्ञान उसे सही दिशा देता है।”
परामर्श हेतु
ज्योतिष आचार्य मनीषा अग्रवाल📞 +91 98303 89477 🌐 www.numerojyotish.in
वैदिक ज्योतिष में योग – शुभ और अशुभ ग्रह संयोजन | NumeroJyotish
जानिए वैदिक ज्योतिष के शुभ योग (राजयोग, धन योग, लक्ष्मी योग) और अशुभ योग (कालसर्प, गुरु चांडाल, शनि चंद्र योग) का प्रभाव और उपाय।
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