
सर्व पितृ अमावस्या 2025: सूर्य ग्रहण, महालया और पितृ पक्ष का समापन
Sep 19
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परिचय
21 सितम्बर 2025, रविवार का दिन अत्यंत विशेष और दुर्लभ है।इस दिन तीन प्रमुख घटनाएँ एक साथ घट रही हैं:
सर्व पितृ अमावस्या – पितरों को तर्पण और श्राद्ध अर्पित करने का अंतिम दिन।
सूर्य ग्रहण – एक खगोलीय घटना जो ग्रहों की ऊर्जा को प्रभावित करती है।
महालया – पितृ पक्ष की विदाई और शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ।
इस प्रकार यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अद्वितीय है।
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है।
मान्यता है कि इन 15 दिनों में पितरों की आत्माएँ धरती पर आती हैं और अपने वंशजों से तर्पण और श्राद्ध की अपेक्षा करती हैं।
यदि किसी पितृ की तिथि अज्ञात हो तो उसका श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या को किया जाता है।
इस दिन किया गया तर्पण और श्राद्ध सभी पूर्वजों तक पहुँचता है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
सूर्य ग्रहण और ज्योतिषीय प्रभाव
इसी दिन सूर्य ग्रहण भी लगेगा, जो इसे और अधिक महत्वपूर्ण बना देता है।
सूर्य ग्रहण को ज्योतिष में अशुभ माना जाता है, लेकिन यह आध्यात्मिक साधना और पितृ तर्पण के लिए अत्यंत फलदायी होता है।
ग्रहण के दौरान मंत्र जाप, ध्यान और दान करने से पितृ दोष और ग्रह दोष दोनों ही शांत होते हैं।
महालया – नवरात्रि का स्वागत
सर्व पितृ अमावस्या के साथ ही महालया मनाया जाता है।
इसका अर्थ है पितृपक्ष की समाप्ति और माँ दुर्गा का आह्वान।
इसी दिन से शारदीय नवरात्रि की तैयारियाँ शुरू होती हैं।
इस प्रकार यह दिन पितृ तर्पण और देवी आराधना दोनों का संगम है।
इस दिन किए जाने वाले प्रमुख कार्य
पितरों का तर्पण – जल, तिल, कुश और पितृ मंत्रों से अर्पण।
श्राद्ध कर्म – पितरों को भोजन समर्पण और ब्राह्मण भोजन।
दान पुण्य – भोजन, वस्त्र, अनाज का दान।
मंत्र जाप – ॐ नमः शिवाय और पितृ गायत्री मंत्र का जाप।
आध्यात्मिक साधना – ग्रहण के समय ध्यान और प्रार्थना।
निष्कर्ष
21 सितम्बर 2025 एक ऐसा दिन है जब हमें अपने पितरों का आशीर्वाद पाने, ग्रह दोष कम करने और माँ दुर्गा का आह्वान करने का सुनहरा अवसर मिलता है।यह दिन हमें याद दिलाता है कि पूर्वजों का सम्मान और आशीर्वाद ही हमारे जीवन की सफलता और सुख का आधार है।
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